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राजकीय चिकित्सालय से रेफर महिला की एक निजी अस्पताल में डिलीवरी के बाद मौत, बच्चा सुरक्षित

लोकेशन: काशीपुरबीते शुक्रवार को राजकीय चिकित्सालय में उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के ग्राम बडेपुर मजरापुरी निवासी सरनजीत की 32 वर्षीय पत्नी रेनू गर्भवती थी बीते बृहस्पतिवार सुबह रेनू को प्रसव पीड़ा पर परिजन यहां के राजकीय चिकित्सालय लेकर पहुंचे। जहां पर महिला चिकित्सक ने उसे कहीं और दिखाने की सलाह दी । जिसपर चिकित्सालय की आशा कार्य कतरी उसे एक निजी अस्पताल लेकर चली गई जहां पर एक बीयूएमएस महिला डाक्टर मौजूद थी, उसने उसको देखकर कहा कि सब ठीक-ठाक है शाम तक डिलीवरी हो जाएगी, लेकिन रेनू को 5:00 बजे अधिक पीड़ा होने लगी जिसपर महिला चिकित्सक ने कहा की ऑपरेशन करना पड़ेगा, जिसपर उन्होंने एक सर्जन को बुलाया और उसका ऑपरेशन कर दिया गया। उसके बाद उसको एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसे चिकित्सकों ने चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाने के लिए सलाह दी। इसके बाद रेनू को अधिक रक्त रिसाव होने लगा जिसपर महिला चिकित्सक ने पुनः सर्जन को बुलाया तो देखा कि महिला की मौत हो चुकी है। इस पर परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा। उन्होंने कहा कि जब हमारा जच्चा बच्चा बिल्कुल स्वस्थ था तो उसकी मौत कैसे हुई। इस बाबत जब सीएमएस एसके दीक्षित से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में आया है की रेनू नामक महिला अस्पताल आई थी लेकिन वह बाहर कैसे गई इसकी जांच की जा रही है अगर इसमें कोई भी चिकित्सक या आशा दोषी पाई जाती हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने एक टीम भी गठित कर दी है। इस दौरान निजी अस्पताल में टीम के साथ गए डॉक्टर अमरजीत सिंह साहनी पहुंचे और उन्होंने बताया उनके पहुंचने पर वहां कोई स्टाफ ट्रेंड नहीं था और एक बीएमएस महिला चिकित्सक थी और वहां पर कई प्रकार की अनियमिताएं भी पाई गई है जिसके कारण अस्पताल को सीज कर दिया गया। इस दौरान आशा कार्य कतरी मंजू चौहान ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब अस्पताल के अंदर पांच-पांच सर्जन मौजूद हैं तो मरीजों को बाहर क्यों भेजा जाता है और गर्भवती महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी ना करते हुए उनका ऑपरेशन कर दिया जाता है जिसके एवज में उनसे पैसों की भी मांग की जाती है। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकत्रियों को मात्र ₹3200 मानदेय दिया जाता है, इस 3200 के मानदेय में वह अपना जीवन यापन कैसे कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि मानदेय खत्म करके उनको वेतन दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि 6 माह से उनका वेतन नहीं दिया जा रहा है, उनका जीवन यापन करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, 24 24 घंटे आशाओं से कार्य कराए जाते हैं, जबकि डॉक्टर एक एक लाख रुपए की तनख्वाह लेकर मजे मार रहे हैं । इस बाबत पूर्व में भी स्वराज एक्सप्रेस की टीम ने सीएमएस को चेताया था लेकिन उसके बाद भी घटना घटित हो गई।