इन नेताओं का रिकॉर्ड तोड़ पाना है असंभव, मानवेंद्र शाह से लेकर खंडूड़ी तक का लिस्ट में है नाम

इस बार चुनावों में पांच सीटों पर दोनों ही बड़ी सियासी पार्टियों के 10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें छह पहली बार आम चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, संसदीय चुनाव में प्रदेश में सबसे अधिक बार जीत का रिकॉर्ड मानवेन्द्र शाह के नाम पर दर्ज है।

संसदीय चुनाव में उत्तराखंड में सबसे अधिक बार जीत का रिकॉर्ड अगर किसी के नाम दर्ज है तो वह मानवेन्द्र शाह के नाम है। वह टिहरी लोकसभा सीट से आठ बार सांसद चुने गए। इसके बाद बीसी खंडूड़ी पांच बार लोकसभा पहुंचे।

खंडूड़ी अपने मामा और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा की कभी लोकसभा सीट रही पौड़ी गढ़वाल से 1991 में पहली बार सांसद चुने गए। इस सीट से खंडूड़ी पांच बार लोकसभा पहुंचे। इस चुनाव में इन दोनों का ही रिकॉर्ड टूटना नामुमकिन है जबकि हरदा और बचदा 4-4 बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इनके चुनावी रिकॉर्ड की बराबरी उस स्थिति में हो सकती है जब टिहरी से माला राज्य लक्ष्मी शाह चुनाव जीत जाएं। हालांकि उनकी जीत या हार भविष्य के गर्भ में छिपी है। 
वर्तमान में 18वीं लोकसभा के लिए प्रदेश की पांच सीटों के लिए चुनाव की रणभेरी बजने के बाद अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में हैं।

इस बार चुनावों में पांच सीटों पर दोनों ही बड़ी सियासी पार्टियों के 10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें छह पहली बार आम चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चार प्रत्याशी दूसरी और चौथी बार मैदान में हैं। इनमें भाजपा से माला राज्य लक्ष्मी शाह, अजय टम्टा और कांग्रेस से प्रदीप टम्टा चौथी बार जबकि केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट दूसरी बार सांसद बनने लिए सियासी जोर आजमाइश में जुटे हैं। 

31 वर्ष का कार्यकाल: मानवेंद्र शाह टिहरी सीट से आठ बार बने सांसद, तीन बार कांग्रेस तो पांच बार भाजपा से गए लोकसभा 
टिहरी सीट से आठ बार सांसद चुने गए मानवेंद्र शाह तीन बार कांग्रेस जबकि पांच बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। उनका सांसद के तौर पर कुल कार्यकाल 31 साल का रहा। उत्तराखंड की किसी भी सीट पर किसी भी संसद का कार्यकाल इतना लंबा नहीं रहा। 

बतौर कांग्रेस प्रत्याशी
1957    1962 
1962    2967
1967    1972
बतौर भाजपा प्रत्याशी
1991    1996 
1996    1998
1998    1999
1999    2004
2004    2007

19 वर्ष का कार्यकाल: जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी अपने मामा की सीट पौड़ी से लगातार पांच बार चुने गए सांसद, मंत्री भी बने 
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर जनरल बीसी खंडूड़ी  पांच बार सांसद रहे। इस दौरान उनका कुल कार्यकाल 19 साल का रहा। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वे सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रह चुके हैं। 2003 में उन्हे कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

खंडूड़ी का कार्यकाल
1991    1996 
1998    1999 
1999    2004 
2004    2007 
2014    2019 
भुवन चंद्र खंडूरी 2007 से 2009 जबकि 2011 से 2012 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। 

साढ़े15 साल रहा हरदा का कार्यकाल
अल्मोड़ा लोकसभा सीट से 1980 के लोकसभा चुुनाव में युवा नेता के तौर पर हरीश रावत ने कांग्रेेस के टिकट भाजपा के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी को शिकस्त दी। हरदा ने 1984 और 1989 का चुनाव जीतकर इस सीट से जीत की हैट्रिक लगाई। हालांकि 1991, 1996, 1998, 1999 के लोकसभा चुनावों में हरदा को हार मिली। 2009 में उन्होंने हरिद्वार सीट का रुख किया और जीत दर्ज की। इस बार हरिद्वार सीट से उनका बेटा मैदान में है। 

हरदा का कार्यकाल
1980-1984 (अल्मोड़ा)
1984-1989 अल्मोड़ा)
1989- 1991 (अल्मोड़ा)
2009-2014 (हरिद्वार)

बचदा अल्मोड़ा में रहे अव्वल 
अल्मोड़ा सीट पर भाजपा नेता बची सिंह रावत के नाम चार बार सांसद बनने का रिकॉर्ड है। इस दौरान वह 13 साल संसद रहे। 2009 में अल्मोड़ा सीट आरक्षित घोषित कर दी गई। इसके बाद 15वीं लोकसभा का चुनाव उन्होंने नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से लड़ा और कांग्रेस के केसी सिंह बाबा से हार गए। 

बचदा  का कार्यकाल
1996-1998 (अल्मोड़ा)
1998-1999 अल्मोड़ा)
1999- 2004 (अल्मोड़ा)
2004-2009 (अल्मोड़ा)

जीतीं तो माला तोड़ सकतीं हैं बचदा और हरदा का िरकॉर्ड
माला राज्यलक्ष्मी शाह 2012 में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीतकर संसद पहुंची थी। उन्होंने तब विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद रिक्त हुई सीट पर उनके बेटे साकेत बहुगुणा को हराया था। अब वह बचदा और हरदा का रिकॉर्ड तोड़ने के करीब हैं।

माला का कार्यकाल
2012-2014 (टिहरी)
2014-2019 (टिहरी)
2019- 2024 (टिहरी)